शनिवार, 30 मई 2020

विशेषण की परिभाषा व उसके प्रकार

                             विशेषण



 विशेषण वह शब्द है जो वाक्य में प्रयोग की गई संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करता है।

( विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम पदों की विशेषता बताता है उसे विशेष्य कहते हैं )


 विशेषण के चार भेद होते हैं ।
(1)गुणवाचक विशेषण 
(2)संख्यावाचक विशेषण 
(3)परिमाणवाचक विशेषण 
(4)संकेतवाचक विशेषण


(1) गुणवाचक विशेषण= जिस विशेषण शब्द से संज्ञा सर्वनाम के गुण दोष आकार स्थान रंग दशा अवस्था का बोध हो उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं जैसे- 
         (क) बाग में सुंदर लड़की घूम रही है 
         (ख)आप नीली कमीज पहनेंगे 
         (ग)राधिका पतली है
         (घ) रावण दुष्ट था 

इन वाक्यो मे सुंदर, पतली ,दुष्ट  गुणवाचक विशेषण है

(2) संख्यावाचक विशेषण=  जो विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं जैसे 
          
            (क)पेड़ पर चार चिड़िया बैठी है
             (ख) सभी बच्चे खेल रहे हैं 
 
इन वाक्यों में "चार "और "सभी" क्रमश: चिड़िया और बच्चे की संख्या संबंधी विशेषण का बोध करा रहे हैं अतः यह संख्यावाचक विशेषण है ।

संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं 
             (1)निश्चित संख्यावाचक विशेषण                            (2)अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण 

(क)निश्चित संख्यावाचक=  विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध कराने वाले विशेषण को निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं जैसे- 
           (क) दो केले देना ।
           (ख) पांचवी कक्षा में 35 बच्चे हैं ।
           (ग) उसके पास चार पुस्तक के हैं ।
   
        इन वाक्यों में दो , 35 तथा चार शब्द एक निश्चित संख्या का बोध करा रहे हैं अतः यह शब्द निश्चित संख्यावाचक विशेषण है।

(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण = संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध न कराने वाले विशेषण को अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं जैसे - 
         (क) घर में कुछ लोग आए हैं 
         (ख)कक्षा में आज थोड़े विद्यार्थी आए हैं 
         ( ग)दाल में कुछ नमक ज्यादा है
   
       इन वाक्यों में" कुछ "और "थोड़े" शब्द द्वारा किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं हो पा रहा है अतः यह शब्द अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण है ।


(3) परिणाम वाचक विशेषण = परिमाणवाचक विशेषण जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की माप तोल संबंधी विशेषता प्रकट करते हैं उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं जैसे - 
         
          (क)मोहन 1 लीटर दूध रोज पीता है                     (ख)सीमा बाजार से 5 किलो आलू लाई। 
      

इन वाक्यों में 1 लीटर तथा 5 किलो शब्द दूध और आलू संज्ञा शब्दों का परिमाण मात्रा का बोध करा रहे हैं अतः.यह शब्द परिमाणवाचक विशेषण है ।


      परिमाणवाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं।                      
        (१) निश्चित परिणाम परिमाणवाचक विशेषण          (२)अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण 
     


(१) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण=  जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित माप तोल का बोध बौद्ध कराते हैं उन्हें निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं जैसे - 
           * 5 किलो चावल 
           * 4 मीटर कपड़ा
          *  1 लीटर तेल
  
 इन वाक्यों में 5 किलो 4 मीटर तथा 1 लीटर रमसा क्रमशः चावल कपड़ा तथा तेल की एक निश्चित मात्रा का बोध करा रहे हैं  अतः यह शब्द परिमाणवाचक विशेषण है

(२) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण = जो शब्द संज्ञा व सर्वनाम की निश्चित माप तोल का बोध नहीं कराते हैं उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं जैसे - 
            (क) थोड़े चावल चाहिए 
            (ख) दूध में चीनी कम डालना
            (ग)गिलास में थोड़ा पानी है
 
               इन वाक्यों में "थोड़े" ,"कम" तथा "थोड़ा "शब्द से किसी निश्चित मात्रा का बोध नहीं हो पा रहा है अतः यह शब्द अनिश्चितपरिमाणवाचक विशेषण है
 


             (4)संकेतवाचक विशेषण=  ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा शब्दों से पहले आ कर विशेषण का कार्य करते हैं संकेतवाचक विशेषण या सर्वनामिक विशेषण कहलाते हैं जैसे-
            
        (क) वह लड़की कहां जा रही है 
        (ख) इस कुर्सी को कमरे में रख दो
         (ग) उसको बाहर ले जाओ
 
 इन वाक्यों में वह ,इस और उस शब्द क्रमशः लड़की ,कुर्सी और मेज की ओर संकेत कर रहे हैं अतः यह शब्द संकेतवाचक विशेषण है।




 स्मरणीय तथ्य

* संज्ञा व सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं 

*विशेषण शब्द जिस शब्द की विशेषता बताते हैं उसे विशेष्य कहते हैं 

*विशेषण के चार भेद होते हैं गुणवाचक संख्यावाचक परिमाणवाचक और संकेतवाचक
 
* जो शब्द विशेषण शब्द की विशेषता प्रकट करते हैं उन्हें प्रविशेषण कहते हैं 

*विशेषण की तीन तुलनात्मक अवस्थाएं होती है मूल अवस्था उत्तर अवस्था उत्तम अवस्था 


*जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण दोष आकार प्रकार स्वाद गंध और काल स्थान आदि का बोध कराएं वह गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं 

*जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की माप तोल का बोध कराएं वह परिमाणवाचक विशेषण होते हैं

शुक्रवार, 29 मई 2020

सर्वनाम की परिभाषा व उसके प्रकार

  •    सर्वनाम- सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ है-  सब अर्थात सबका नाम। यह वह शब्द होते हैं जो वाक्य में विभिन्न संज्ञाओ.के बदले प्रयोग किए जा सकते हैं इसका मुख्य उद्देश्य वाक्यों में संज्ञा के बार -बार प्रयोग से बचना है।

  •   सर्वनाम की परिभाषा- संज्ञा शब्द के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं जैसे मैं ,हम ,तुम, वह आदि। 

  •  सर्वनाम के 6 भेद होते हैं 
  • (1)पुरुषवाचक सर्वनाम
  • (2) निश्चयवाचक सर्वनाम
  • (3) निश्चयवाचक सर्वनाम 
  • (4) संबंधवाचक सर्वनाम
  • (5) प्रश्नवाचक सर्वनाम
  • (6) निजवाचक सर्वनाम 

  • (1)  पुरुषवाचक सर्वनाम = जिस संज्ञा शब्द के स्थान पर बोलने वाला अपने लिए या सुनने वाले के लिए या अन्य किसी के बारे में जिस शब्द का प्रयोग करता है वह पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाता है। जैसे-  
 (क) राम, मोहन से रमेश के विषय में कहता है।

 मैं कहता हूं , "तुम उसके लिए पुस्तक दे दो।"

  "मैं " - बोलने वाले राम के लिए।
" तुम " - सुनने वाले मोहन के लिए।
  "उसके" -  अन्य रमेश के लिए प्रयोग किए गए हैं।

अतः" में " , "तुम"  और "उसके" पुरुषवाचक सर्वनाम है।
        

                    पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद

  • उत्तम पुरुष
  •  मध्यम पुरुष 
  • अन्य पुरुष

  • (१)  उत्तम पुरुष बोलने वाला जिस संज्ञा पद के स्थान पर सर्वनाम शब्द का प्रयोग करता है वह उत्तम पुरुष कहलाता है। जैसे- 

  (क)   मैं टहलता  हूं।
  (ख)   हम टहलते है।

" मैं "और" हम "उत्तम पुरुष है।

   (२) मध्यम पुरुष=  बोलने वाला  जिससे बातें कर रहा है या जो उसकी बात सुन रहा है उसके लिए प्रयुक्त सर्वनाम शब्द मध्यम पुरुष होते हैं। जैसे- 

 (क) आप विश्राम कीजिए।

 (ख) तुम कविता सुनाओ।

 "आप "और "तुम "मध्यम पुरुष है क्योंकि यह सुनने वाला और बातें करने वाले के लिए प्रयुक्त शब्द है|

 (३)  अन्य पुरुष = बोलने वाला जिसके विषय में बातें कर रहा है उसके लिए प्रयुक्त सर्वनाम शब्द अन्य पुरुष कहलाता है। जैसे- 

(क) वह बाजार गया।

 (ख) उसकी मां घर पर है। 

 यहां "वह" और "उसकी " अन्य पुरुष है क्योंकि यह शब्द अन्य पुरुष के लिए प्रयोग किए गए हैं 
                    .   (मैं, हम, तुम, तू ,वह ,यह ,आप मुख्य पुरुषवाचक सर्वनाम है।)

  • (2)  निश्चयवाचक सर्वनाम=  जिस शब्द से किसी पास या दूर की वस्तु या व्यक्ति का निश्चयात्मक बोध होता है उसे निश्चयवाचक सर्वनाम शब्द कहते हैं इससे संकेतवाचक सर्वनाम भी कहते हैं। जैसे-  
(क) वह मेरा विद्यालय हैउसमें मैं पढ़ता हूं ।
(ख) वह पेड़ है उन पर चिड़ियों ने के घोसले हैं ।
(ग) यह टेलीविजन है जिससे मैं देश विदेश की खबरें देखता हूं।
(घ)  यह मेरी कक्षा है इसमें मैं पढ़ता हूं ।
    
           इन वाक्यों में वह यह उस इस उन शब्दों से निश्चय का बोध हो रहा है अतः यह शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम है।

 (3) आनिश्चयवाचक सर्वनाम = जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित प्राणी या वस्तु का बोध नहीं होता उसे आनिश्चयवाचक सर्वनाम शब्द कहते हैं। जैसे-  

(क) घर में कोई आया है 
 (ख) मामा जी कुछ लाए हैं 
 
 इन वाक्यों में "कोई "और "कुछ "शब्दों से किसी निश्चित प्राणी का बोध नहीं होता अतः यह शब्द  यह आनिश्चयवाचक सर्वनाम है।

  •  (4) संबंधवाचक सर्वनाम=  जिस सर्वनाम शब्द से वाक्य के परस्पर दो सर्वनामों के संबंध स्थापित हो उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं जैसे- 
 (क) जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है 
 (ख) जो फसल की भलीभांति देखभाल करता है वह अवश्य अधिक अनाज पता है ।

इन वाक्यों में" जिसकी , उसकी " " जो और वह" शब्दों का आपस में परस्पर संबंध है अतः यह शब्द संबंधवाचक सर्वनाम है

  • (5)  प्रश्नवाचक सर्वनाम=  जिस सर्वनाम शब्द से वाक्य में प्रश्न पूछने का बोध होता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं जैसे - 
  (क) रामचरितमानस किसकी रचना है? 
 (ख)  विद्यालय के प्राचार्य कौन हैं ?
इन वाक्यों में "कौन" और" किसकी "शब्दों से प्रश्न पूछने का बोध हो रहा है अतः यह शब्द प्रश्नवाचक सर्वनाम है 


  • (6)  निजवाचक सर्वनाम = अपने लिए अर्थात स्वयं के लिए प्रयोग किए जाने वाले सर्वनाम शब्द निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं ।जैसे-
(क)  वह स्वयं लिख लेगा
(ख) तुम स्वयं आ जाओगे
(ग) मैं अपने आप पढ़ लूंगा

 इन वाक्यों में "स्वयं" और "अपने आप " शब्द का प्रयोग कर्ता के अपनेपन का बोध कराने के लिए हुआ है आधा यह शब्द निजवाचक सर्वनाम है।

  •  महत्वपूर्ण तथ्य
  • लिंग के कारण सर्वनाम पदों में कोई परिवर्तन नहीं होता है 
  • यहां और वहां का प्रयोग पुरुषवाचक और निश्चयवाचक सर्वनाम के लिए होता है
  • तू का प्रयोग आमतौर पर अनादर या बहुत निकटता प्रकट करने के लिए किया जाता है सामान्य रूप में इसका प्रयोग नहीं होता
  • विशिष्ट व्यक्ति के लिए में के स्थान पर हम का प्रयोग करते हैं
  • सम्मान देने के लिए एक वचन संज्ञाओ की तरह सर्वनाम का प्रयोग भी बहुवचन में होता है
  • सर्वनाम शब्दों की मूल रचना में संबोधन नहीं होता है
  • मैं के स्थान पर हम का प्रयोग कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है जिसका प्रयोग अब सामान्य हिंदी में भी होने लगा है


  •  सही विकल्प लगाइए
 (1) संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त शब्द क्या कहलाते हैं ?
         
      (क) संज्ञा के रूप।  (ख)  सर्वनाम  (ग)  सभी का नाम          (घ)  इनमें से कोई नहीं

 (2) सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ क्या है? 
     
      (क) सबका नाम    (ख) सभी नाम   (ग) यह दोनों                   (घ)  इनमें से कोई नहीं 

(3)  निम्नलिखित में से सर्वनाम शब्द का भेद कौन सा है ?

(क) निजवाचक।   (ख)  स्थान वाचक।     (ग)  क्रिया वाचक 
  (घ) कर्म वाचक

(4) सर्वनाम का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
    
      (क)   संज्ञा के बार बार प्रयोग से बचना  (ख) वाक्यों को स्पष्ट बनाना    (ग) उपयुक्त दोनों    (घ)  उपर्युक्त में से कोई नहीं 

(5) निम्नलिखित में से पुरुषवाचक सर्वनाम का भेद कौन सा है ?

(क) उत्तम   (ख) मध्यम   (ग) अन्य। (घ)  यह सभी भेद 


             ..

             उत्तर  = सर्वनाम
                         सब का नाम।  
                         निजवाचक 
                         संज्ञा के बार बार प्रयोग से बचना
                         यह सभी भेद

                    


गुरुवार, 28 मई 2020

संज्ञा की परिभाषा व उसके प्रकार

किसी व्यक्ति वस्तु स्थान भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं |
संज्ञा के मुख्य तीन भेद होते हैं|

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा
(2)जातिवाचक संज्ञा 
(3)भाववाचक संज्ञा 


(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा =  शब्दों में किसी विशेष व्यक्ति स्थान अथवा वस्तु का बोध होता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं |जैसे - ताजमहल ,आगरा , कोणार्क, उड़ीसा, बाइबिल ,रामायण आदि व्यक्तिवाचक संज्ञा है। क्योंकि यह किसी विशेष स्थान वस्तु या व्यक्ति का बोध करा रही है ।

(क) ताजमहल आगरा में है ।
(ख) कोणार्क उड़ीसा में है ।
(ग) कुरान बाइबल तथा रामायण धार्मिक ग्रंथ है ।

उपरोक्त वाक्य में ताजमहल,  आगरा ,कोणार्क ,उड़ीसा ,कुरान बाइबल ,रामायण व्यक्तिवाचक संज्ञा है ।

(2) जातिवाचक संज्ञा  =  जिन संज्ञा शब्दों में किसी वस्तु व्यक्ति प्राणी या स्थान की संपूर्ण जाति या वर्ग का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे-  हाथी,  सरोवर , बच्चे, बगीचे फूल,  ऊंट आदि जातिवाचक संज्ञा है । 

(क) हाथी सरोवर में नहा रहा है ।
(ख) बगीचे में फूल खिले हैं । 
(ग) बच्चे फिल्म देख रहे हैं। 
(घ)  ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहते हैं । 

उपरोक्त वाक्यों में हाथी,  सरोवर , बच्चे , फिल्म,  ऊंट,  रेगिस्तान , जहाज जातिवाचक संज्ञा है।


(3)  भाववाचक संज्ञा =  संज्ञा शब्दों से किसी वस्तु व्यक्ति प्राणी तथा स्थान के गुण दोष अवस्था तथा स्वभाव आदि का बोध होता है उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे-  लंबाई , चौड़ाई मिठास,  प्रेम,  सफलता आदि। 

 (क) कमरे की लंबाई तथा चौड़ाई नापो।
(ख)  सबसे प्रेम से बोलो गन्ने में मिठास कम है।
(ग)  परिश्रम करने से ही सफलता मिलती है ।

उपरोक्त वाक्यों में लंबाई,  चौड़ाई , मिठास,  प्रेम , परिश्रम और सफलता भाववाचक संज्ञा है। 
                       (  भाववाचक संज्ञा को अनुभव किया जा सकता है उसको देखा नहीं जा सकता है   ) 

कुछ विद्वान संज्ञा के दो भेद और मानते हैं
(4) द्रव्यवाचक संज्ञा 
(5) समूहवाचक संज्ञा

(4)  द्रव्यवाचक संज्ञा  =  संज्ञा शब्दों से किसी पदार्थ का या द्रव का बोध होता है उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।  जैसे - सोना ,चांदी , लोहा , पीतल , मिट्टी आदि ।

(5)  समूह वाचक संज्ञा  =  संज्ञा शब्दों से किसी जाति के समूह का बोध होता है उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे = कक्षा , झुंड , दल , सेना आदि 
इसे समुदाय वाचक संज्ञा भी कहते हैं 


सही विकल्प लगाइए 

(1)  संज्ञा से क्या तात्पर्य है
       (1) कर्म.   (2) स्वभाव   (3). नाम. (4) जाति 

(2) संज्ञा के मुख्यतः कितने भेद होते हैं  
        (1)दो       (2). 2.   (3). 3.    (4). 4

(3)  इनमें से संज्ञा के मुख्य भेद कौन से हैं
        (1)  व्यक्तिवाचक   (2) जातिवाचक (3)  भाववाचक             (4) यह सभी

(4) इनमें से भाववाचक संज्ञा कौन सी है
        (1)  मीठा    (2) मिठास   (3) मिठाई। (4) मीठापन 

(5) सूरज किस प्रकार की संज्ञा का भेद है ।
       (1) व्यक्तिवाचक   (2) जातिवाचक  (3) भाववाचक               (4)द्रव्यवाचक 
   

        उत्तर =  नाम , तीन ,  यह सभी,  मिठास,  व्यक्तिवाचक।


बुधवार, 27 मई 2020

हिन्दी समास

 समास का अर्थ - संक्षेप |
परस्पर संबंध रखने वाले दो या दो से अधिक पदों के मेल से नया शब्द बनने की प्रक्रिया को समास कहते हैं
 समास के भेद समास के 6 भेद होते हैं 
(1)अव्ययीभाव समास 
(2)तत्पुरुष समास 
(3)कर्मधारय समास
(4) दिगु समास 
(5)बहुव्रीहि समास 
(6)द्वंद समास 

(1)अव्ययीभाव समास= जिस समास का पहला पद प्रधान तथा अवयव होता है और समस्त पद भी अवयव क्रिया विशेषण का कार्य करते हैं उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं
 अव्ययीभाव को समाज को समझने के लिए ( अनु ,आ ,प्रति ,यथा ,यावत, हर ,भर )  याद रख कर इस समास.को  समझा जा सकता है 
जैसे - 
 आमरण - मरने तक 
यथाशक्ति -शक्ति के अनुसार
आजीवन -जीवन भर 
भरपेट -पेट भर के

 (2) तत्पुरुष समास -तत्पुरुष समास में उत्तर पद प्रधान होता है और पूर्व पद गोण होता है तत्पुरुष समास की बनावट में समस्त पदों के बीच में आने वाले कारक चिन्ह का लोप हो जाता है

                     कर्ता   - ने 
                     कर्म   - को 
                     करण -  से , के द्वारा 
                    संप्रदान  - के लिए 
                  अपादान   -से।     
                   संबंध     -   का , के , की 
                  अधिकरण -  में  , पर  
                   का लोप हो जाता है 
 
तत्पुरुष समास के 6 भेद माने गए हैं
 (1) कर्म तत्पुरुष 
(2) करण तत्पुरुष 
(3) संप्रदान तत्पुरुष 
(4) अपादान तत्पुरुष 
(5) संबंध तत्पुरुष 
(6) अधिकरण तत्पुरुष 


(1) कर्म तत्पुरुष  - इस समास.में कर्म कारक की विभक्ति को का लोप हो जाता है जैसे - 

ग्राम गत   -   ग्राम को गया हुआ 
सर्वप्रिय    -   सबको प्रिय 
माखन चोर   -  माखन को चुराने वाला
 चिड़ीमार     -  चिड़िया को मारने वाला 

(2) करण तत्पुरुष  = इस.समास में करण कारक की विभक्ति से या के द्वारा का लोप होता है जैसे - 
 
रेखांंकीत  --रेखा से अंकित 
हस्तलिखित   -  हाथ से लिखित 
मनगढ़ंत      -   मन से गड़ा   हुआ 
सुर रचित      - सुर के द्वारा रचित 

(3)  संप्रदान तत्पुरुष = समास इस समाज में संप्रदान कारक की विभक्ति "के लिए" का लोप होता है जैसे-

 हवन सामग्री   - हवन के लिए सामग्री 
देश भक्ति       -  देश के लिए भक्ति
 विद्यालय       -   विद्या के लिए आलय 
हथकड़ी.    -.     हाथ के लिए कड़ी 

(4)अपादान तत्पुरुष = समास इस समाज में अपादान कारक की विभक्ति "से "(अलग होने का भाव )का लोप. होता है जैसे - 


भयभीत  -  भय से भीत  
रोगमुक्त    -  रोग से मुक्त 
पद मुक्त     -  पद से मुक्त 
ऋण मुक्त     - ऋण से मुक्त  
  
(5)  संबंध तत्पुरुष = समास इस समाज में संबंध कारक की विभक्ति "का, के ,की "का लोप होता है जैसे - 
 
पवन पुत्र  - पवन का पुत्र 
राज्यसभा   -  राजा की सभा 
समयानुसार  - समय के अनुसार 
राजकुमार    -  राजा के कुमार 

(6)  अधिकरण तत्पुरुष समास=  इस  समाज  मैं अधिकरण कारक की विभक्ति " मे, पर "का लोप हो जाता है जैसे - 
 
वनवास  -  वन में वास 
आत्मविश्वास   - आत्मा पर विश्वास  
 गृह प्रवेश  -  गृह में प्रवेश 
घुड़सवार   -  घोड़े पर सवार  

(3) कर्मधारय समास =  जिस समास के दोनों पदों में उपमय - उपमान या विशेषण - विशेष्य का संबंध हो वहां कर्मधारय समास होता है 
 इसकी पहचान यह है कि  समास का विग्रह करने पर   (है  जो.) और (के सामान)   आता है जैसे - 

कमलनयन -   कमल के समान नयन 
घनश्याम    -  घन के समान श्याम
  नीलगाय   - नीली है जो गाय
 महात्मा    -   महान है जो आत्मा


(4) द्विगु समास  = जिस समस्त पद में पहला पद संख्यावाची हो विग्रह करने पर समूह अथवा समाहार का प्रयोग होता है वहां द्विगु समास होता है जैसे - 

नवरात्र   -   नव रातों का समूह 
त्रिफला   -  3 फलों का समाहार
 चौराहा   -  चार राहों का समूह 
पंचवटी     -   5 वटो का समूह



(5)   बहुव्रीहि समास =   जिस समस्त पद में कोई पद प्रधान ना हो तथा समस्त पद किसी अन्य अर्थ का बोध कराता हो वहां बहुव्रीहि समास होता है जैसे-  

 नीलकंठ  -  नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव 
पीतांबर   -   पीला है अंबर जिसका अर्थात श्री कृष्ण 
 लंबोदर  -   लंबा है    उधर जिसका अर्थात गणेश
 दशानन    -   10 है आनंद जिसके अर्थात रावण 


(6)  द्वंद समास  =  जिस समस्त पद में दोनों पद समान हो अर्थ की दृष्टि से स्वतंत्र हो तथा विग्रह करने पर और एवं अथवा या आदि का प्रयोग होता है वहां द्वंद समास होता है जैसे -  
 अपना- पराया =अपना और पराया
 गुरु - शिष्य   =  गुरु और शिष्य 
पाप  - पुण्य =   पाप और पुण्य 
राजा - रंक    =  राजा और रंक 
खट्टा -- मीठा  =  खट्टा या मीठा