शुक्रवार, 29 मई 2020

सर्वनाम की परिभाषा व उसके प्रकार

  •    सर्वनाम- सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ है-  सब अर्थात सबका नाम। यह वह शब्द होते हैं जो वाक्य में विभिन्न संज्ञाओ.के बदले प्रयोग किए जा सकते हैं इसका मुख्य उद्देश्य वाक्यों में संज्ञा के बार -बार प्रयोग से बचना है।

  •   सर्वनाम की परिभाषा- संज्ञा शब्द के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं जैसे मैं ,हम ,तुम, वह आदि। 

  •  सर्वनाम के 6 भेद होते हैं 
  • (1)पुरुषवाचक सर्वनाम
  • (2) निश्चयवाचक सर्वनाम
  • (3) निश्चयवाचक सर्वनाम 
  • (4) संबंधवाचक सर्वनाम
  • (5) प्रश्नवाचक सर्वनाम
  • (6) निजवाचक सर्वनाम 

  • (1)  पुरुषवाचक सर्वनाम = जिस संज्ञा शब्द के स्थान पर बोलने वाला अपने लिए या सुनने वाले के लिए या अन्य किसी के बारे में जिस शब्द का प्रयोग करता है वह पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाता है। जैसे-  
 (क) राम, मोहन से रमेश के विषय में कहता है।

 मैं कहता हूं , "तुम उसके लिए पुस्तक दे दो।"

  "मैं " - बोलने वाले राम के लिए।
" तुम " - सुनने वाले मोहन के लिए।
  "उसके" -  अन्य रमेश के लिए प्रयोग किए गए हैं।

अतः" में " , "तुम"  और "उसके" पुरुषवाचक सर्वनाम है।
        

                    पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद

  • उत्तम पुरुष
  •  मध्यम पुरुष 
  • अन्य पुरुष

  • (१)  उत्तम पुरुष बोलने वाला जिस संज्ञा पद के स्थान पर सर्वनाम शब्द का प्रयोग करता है वह उत्तम पुरुष कहलाता है। जैसे- 

  (क)   मैं टहलता  हूं।
  (ख)   हम टहलते है।

" मैं "और" हम "उत्तम पुरुष है।

   (२) मध्यम पुरुष=  बोलने वाला  जिससे बातें कर रहा है या जो उसकी बात सुन रहा है उसके लिए प्रयुक्त सर्वनाम शब्द मध्यम पुरुष होते हैं। जैसे- 

 (क) आप विश्राम कीजिए।

 (ख) तुम कविता सुनाओ।

 "आप "और "तुम "मध्यम पुरुष है क्योंकि यह सुनने वाला और बातें करने वाले के लिए प्रयुक्त शब्द है|

 (३)  अन्य पुरुष = बोलने वाला जिसके विषय में बातें कर रहा है उसके लिए प्रयुक्त सर्वनाम शब्द अन्य पुरुष कहलाता है। जैसे- 

(क) वह बाजार गया।

 (ख) उसकी मां घर पर है। 

 यहां "वह" और "उसकी " अन्य पुरुष है क्योंकि यह शब्द अन्य पुरुष के लिए प्रयोग किए गए हैं 
                    .   (मैं, हम, तुम, तू ,वह ,यह ,आप मुख्य पुरुषवाचक सर्वनाम है।)

  • (2)  निश्चयवाचक सर्वनाम=  जिस शब्द से किसी पास या दूर की वस्तु या व्यक्ति का निश्चयात्मक बोध होता है उसे निश्चयवाचक सर्वनाम शब्द कहते हैं इससे संकेतवाचक सर्वनाम भी कहते हैं। जैसे-  
(क) वह मेरा विद्यालय हैउसमें मैं पढ़ता हूं ।
(ख) वह पेड़ है उन पर चिड़ियों ने के घोसले हैं ।
(ग) यह टेलीविजन है जिससे मैं देश विदेश की खबरें देखता हूं।
(घ)  यह मेरी कक्षा है इसमें मैं पढ़ता हूं ।
    
           इन वाक्यों में वह यह उस इस उन शब्दों से निश्चय का बोध हो रहा है अतः यह शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम है।

 (3) आनिश्चयवाचक सर्वनाम = जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित प्राणी या वस्तु का बोध नहीं होता उसे आनिश्चयवाचक सर्वनाम शब्द कहते हैं। जैसे-  

(क) घर में कोई आया है 
 (ख) मामा जी कुछ लाए हैं 
 
 इन वाक्यों में "कोई "और "कुछ "शब्दों से किसी निश्चित प्राणी का बोध नहीं होता अतः यह शब्द  यह आनिश्चयवाचक सर्वनाम है।

  •  (4) संबंधवाचक सर्वनाम=  जिस सर्वनाम शब्द से वाक्य के परस्पर दो सर्वनामों के संबंध स्थापित हो उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं जैसे- 
 (क) जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है 
 (ख) जो फसल की भलीभांति देखभाल करता है वह अवश्य अधिक अनाज पता है ।

इन वाक्यों में" जिसकी , उसकी " " जो और वह" शब्दों का आपस में परस्पर संबंध है अतः यह शब्द संबंधवाचक सर्वनाम है

  • (5)  प्रश्नवाचक सर्वनाम=  जिस सर्वनाम शब्द से वाक्य में प्रश्न पूछने का बोध होता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं जैसे - 
  (क) रामचरितमानस किसकी रचना है? 
 (ख)  विद्यालय के प्राचार्य कौन हैं ?
इन वाक्यों में "कौन" और" किसकी "शब्दों से प्रश्न पूछने का बोध हो रहा है अतः यह शब्द प्रश्नवाचक सर्वनाम है 


  • (6)  निजवाचक सर्वनाम = अपने लिए अर्थात स्वयं के लिए प्रयोग किए जाने वाले सर्वनाम शब्द निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं ।जैसे-
(क)  वह स्वयं लिख लेगा
(ख) तुम स्वयं आ जाओगे
(ग) मैं अपने आप पढ़ लूंगा

 इन वाक्यों में "स्वयं" और "अपने आप " शब्द का प्रयोग कर्ता के अपनेपन का बोध कराने के लिए हुआ है आधा यह शब्द निजवाचक सर्वनाम है।

  •  महत्वपूर्ण तथ्य
  • लिंग के कारण सर्वनाम पदों में कोई परिवर्तन नहीं होता है 
  • यहां और वहां का प्रयोग पुरुषवाचक और निश्चयवाचक सर्वनाम के लिए होता है
  • तू का प्रयोग आमतौर पर अनादर या बहुत निकटता प्रकट करने के लिए किया जाता है सामान्य रूप में इसका प्रयोग नहीं होता
  • विशिष्ट व्यक्ति के लिए में के स्थान पर हम का प्रयोग करते हैं
  • सम्मान देने के लिए एक वचन संज्ञाओ की तरह सर्वनाम का प्रयोग भी बहुवचन में होता है
  • सर्वनाम शब्दों की मूल रचना में संबोधन नहीं होता है
  • मैं के स्थान पर हम का प्रयोग कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है जिसका प्रयोग अब सामान्य हिंदी में भी होने लगा है


  •  सही विकल्प लगाइए
 (1) संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त शब्द क्या कहलाते हैं ?
         
      (क) संज्ञा के रूप।  (ख)  सर्वनाम  (ग)  सभी का नाम          (घ)  इनमें से कोई नहीं

 (2) सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ क्या है? 
     
      (क) सबका नाम    (ख) सभी नाम   (ग) यह दोनों                   (घ)  इनमें से कोई नहीं 

(3)  निम्नलिखित में से सर्वनाम शब्द का भेद कौन सा है ?

(क) निजवाचक।   (ख)  स्थान वाचक।     (ग)  क्रिया वाचक 
  (घ) कर्म वाचक

(4) सर्वनाम का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
    
      (क)   संज्ञा के बार बार प्रयोग से बचना  (ख) वाक्यों को स्पष्ट बनाना    (ग) उपयुक्त दोनों    (घ)  उपर्युक्त में से कोई नहीं 

(5) निम्नलिखित में से पुरुषवाचक सर्वनाम का भेद कौन सा है ?

(क) उत्तम   (ख) मध्यम   (ग) अन्य। (घ)  यह सभी भेद 


             ..

             उत्तर  = सर्वनाम
                         सब का नाम।  
                         निजवाचक 
                         संज्ञा के बार बार प्रयोग से बचना
                         यह सभी भेद

                    


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